Monday, March 7, 2005

समस्याएं अल्पसंख्यक समुदाय की

समस्याएं अल्पसंख्यक समुदाय की


चीन के उइगुर प्रांत में मुस्लिम समुदाय के साथ हान समुदाय की नहीं बनती
चीन में पिछले कुछ सालों में सांप्रदायिक हिंसा के बाद सरकार ने अब इस मुद्दे की ओर ध्यान दिया है.
नवंबर महीने में हेनान प्रांत के हुई मुस्लिमों और हान चीनियों के बीच पांच दिनों तक चली हिंसक झड़पों में सात लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
इससे पहले भी चीन में अल्पसंख्यक मुस्लिमों के साथ हिंसक झड़पें होती रही हैं.
चीन में वैसे भी आर्थिक और सामाजिक स्तर पर कई तरह की समस्याएं हैं और अगर उनमें धर्म और नस्ल को मिला दिया जाए तो हेनान प्रांत विस्फोटकों के पहाड़ पर ही खड़ा है.
चीन के बहुसंख्यक हान समुदाय और 55 अल्पसंख्यक समुदायों के संबंध हमेशा से संवेदनशील और नाजुक रहे हैं. हान समुदाय चीनी आबादी का 93 प्रतिशत है.
चीन में सामाजिक स्थायित्व, राष्ट्रीय एकता और कम्युनिस्ट पार्टी के अस्तित्व के लिए यह एक खतरनाक संकेत हो सकता है.
हवाई विश्वविद्यालय में एंथ्रोपोलॉजी और एशियाई मामलों के प्रोफेसर ड्रू ग्लाडने कहते हैं " चीन का समाज बहुत बंटा हुआ है और यहां पर छोटे स्तर पर होने वाले संघर्षों के बड़ा होने में समय नहीं लगता. "
चीन की सरकार सांप्रदायिक समस्याओं को हमेशा से छोटी समस्या बताती रही है और इसे गांववालों के बीच तनाव के रुप में चित्रित करती रही है.

समस्याएं तिब्बत में भी है और जिनज़ियांग में भी
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने पिछले साल हुई हिंसा के बारे में कहा था " चीन में कई तरह के अल्पसंख्यक रह रहे हैं. लेकिन उनके स्वास्थ्य और अन्य ज़रुरतों के बारे में हमारी बहुत अच्छी नीति है."
असंतुष्ट अल्पसंख्यक
चीन के अल्पसंख्यकों के बारे में बाहरी दुनिया को कम ही पता चल पाता है.
पूर्व में सरकार ने तस्वीरों के ज़रिए दिखाने की कोशिश की है कि इन कबीलों ( अल्पसंख्यक समुदाय) के लोग पारंपरिक वेशभूषा में कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होते हैं.
लेकिनक वारविक विश्वविद्यालय में पूर्वी एशिया मामलों के जानकार पीटर फर्डीनेंड कहते हैं " चीन की आर्थिक प्रगति ने पिछले कुछ वर्षों में नस्ली संबंधों की परिभाषा बदल डाली है. "
सुधारों के कारण लोगों के आने जाने पर लगे कई प्रतिबंध हटे हैं और अब अल्पसंख्यक लोग शहरों तक आ रहे हैं अपनी बात रख रहे हैं.
अब चीन की संसद में भी अल्पसंख्यक लोग जा रहे हैं और सरकार की कई नीतियों का उन्होंने विरोध भी किया है.
कई प्रांतों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नौकरियों में आरक्षण मिल रहा है और जन्म संबंधी कठोर नीतियां उन पर लागू नहीं है. अल्पसंख्यकों को इस तरह के फायदे देने से बहुसंख्यक हान समुदाय काफी नाराज़ भी है.
स्वीडन में चीनी मूल के एक विद्यार्थी विल्स चेंग का कहना है कि चीन में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ व्यवहार बहुत अच्छा नहीं होता है.

कई तरह के अल्पसंख्यक समुदाय रहते हैं चीन में
वो बताते हैं कि उनके साथ स्वीडन में चीन के उईगुर प्रांत की एक लड़की पढ़ती है और वो खुद को चीनी से अधिक पूर्वी तुर्की मानती है और बाकी चीनी छात्र उससे बात नहीं करते.
चेंग का कहना है कि हान समुदाय बाकी अन्य समुदायों को असभ्य मानते हैं और उन्हें चीन के लिए बड़ा खतरा भी.
एक और समस्या ये हुई है कि हान लोगों के पूरे चीन में तेज़ी से फैलने के कारण अल्पसंख्यक लोगों की स्थिति खराब हो रही है.
ख़ास कर तिब्बत और जिनज़ियांग प्रांत में जहां धार्मिक और नस्ली तनाव सबसे अधिक है.
सराकर को डर है कि इस तरह के तनावों से चीन की भौगोलिक एकता को ख़तरा हो सकता है.
वर्तमान समय में चीन के लिए पूरी एकता और अखंडता बनाए रखना और भी ज़रुरी हो गया है क्योंकि अब चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी शक्ति के रुप में खुद को तकरीबन स्थापित कर चुका है.

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