Monday, March 9, 2009

फतवाः मजहब के आधार पर वोट न करें मुसलमान

फतवाः मजहब के आधार पर वोट न करें मुसलमान
नई दिल्ली।। प्रमुख इस्लामी संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने एक फतवे में कहा है कि मुसलमान वोट जरूर डालें,
लेकिन सिर्फ धर्म के आधार पर किसी पार्टी या नेता को वोट न दें। मुसलमानों को वोट देना चाहिए या नहीं, देवबंद ने कहा कि वोट का इस्तेमाल करना चाहिए। फतवे में कहा गया कि उस पार्टी या नेता को वोट देना चाहिए जो बेहतर हो और मुस्लिम समुदाय और देश के लिए काम करता हो। भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है, लिहाजा यहां की राजनीति को इस्लाम के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए और ना ही सियासी पार्टियों और राजनेताओं को इस्लामी सिद्धांतों की कसौटी पर कसा जाना चाहिए। दारुल उलूम के फतवा और मजहबी राय जारी करने वाली इकाई, दारुल इफ्ता ने किसी पार्टी या उम्मीदवार की हिमायत करने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि यह लोगों को ही तय करना है कि वे किसे वोट दें। फतवे में कहा गया का वोटर का दर्जा किसी गवाही या गवाह जैसा ही है, लिहाजा हर मुसलमान का फर्ज है कि वह इसका इस्तेमाल सही ढंग से करे। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रवक्ता मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी ने भी दारुल उलूम जैसे ही अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि वोट डालने का अधिकार रखने वाले हर व्यक्ति को वोट जरूर करना चाहिए। मस्जिदों के इमामों के अखिल भारतीय संगठन के महासचिव मौलाना उमेर अहमद इलयासी ने कहा कि वोट मौलिक अधिकार है और हर योग्य मुसलमान को इसका इस्तेमाल करना चाहिए। वोट डालते वक्त अपनी और मुल्क की भलाई को ध्यान में रखना चाहिए। कोई पुरुष या महिला वोट नहीं डाल रही है तो वह गलत है और वह इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार है।

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