पाकिस्तान के लोगों के लिए मोहम्मद अली जिन्ना का वही महत्व है जो भारतीयों के लिए महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू का या अमरीकियों के लिए जार्ज वाशिंगटन का है.
पाकिस्तान में जिन्ना को "कायदे आज़म" कहा जाता है यानी 'महान नेता'.
पाकिस्तान के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले जिन्ना पेशे से वकील थे और उनकी पढ़ाई लंदन में हुई थी.
कराची में एक बड़े व्यापारिक घराने में 25 दिसंबर 1876 को जिन्ना का जन्म हुआ था.
इंग्लैंड में क़ानून की पढ़ाई करने के बाद 1896 में वकालत करने बंबई लौटे जिन्ना ने जल्दी ही नाम कमा लिया.
शराब और विलायती कपड़ों के शौकीन जिन्ना की अंग्रेज़ी भाषा पर ज़बर्दस्त पकड़ ने उन्हें क़ानूनी हलकों में लोकप्रिय कर दिया.
तकरीबन दस साल बाद यानी 1906 में जिन्ना ने राजनीति में प्रवेश किया ऑल इंडिया कांग्रेस में शामिल होकर.
लेकिन कुछ ही वर्षों बाद 1913 में वो मुस्लिम लीग में शामिल हो गए. हालांकि उस समय वो कांग्रेस में भी थे. 1919 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी.
कांग्रेस में जब तक रहे जिन्ना को एक धर्मनिरपेक्ष नेता माना जाता रहा जो हिंदू मुस्लिम एकता के लिए लगातार बात करते रहे.
हालांकि 1919 के बाद उनकी राजनीति में थोड़ा बदलाव ज़रुर हुआ. 1930 के दशक में वो मुस्लिम लीग के बड़े नेता के रुप में उभरे और लगातार मुस्लिमों के लिए अलग राष्ट्र की बात करनी शुरु कर दी.
जिन्ना खान-पान और वेशभूषा में पूरी तरह पाश्चात्य थे
दस साल बाद 1940 में मुस्लिम लीग ने लाहौर प्रस्ताव पारित कर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को मिलाकर नए राष्ट्र की औपचारिक रुप से मांग भी रख दी.
भारत की आज़ादी या विभाजन के दौरान तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन जिन्ना की नीतियों से इतने नाराज़ थे कि उन्होंने जिन्ना को 'सनकी' तक कह डाला.
धर्मनिरपेक्ष
जिन्ना कई मामलों में धर्मनिरपेक्ष कहे जा सकते हैं या फिर इतना कहा जा सकता है कि वो धार्मिक नहीं थे.
हालांकि कुछ विश्लेषक मानते हैं कि जिन्ना ने जब ज़रुरत समझी तब धार्मिक हो गए और मतलब पूरा होते ही फिर धर्मनिरपेक्ष हो गए.
जानकारों का इशारा पाकिस्तान के निर्माण की तरफ रहता है क्योंकि पाकिस्तान बनने के बाद कभी भी जिन्ना ने इस्लाम की तरफ़ किसी तरह का कोई विशेष झुकाव नहीं दिखाया.
पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल के रुप में भाषण देते हुए जिन्ना का कहना था " आने वाले समय में (पाकिस्तान में) आप देखेंगे कि धार्मिक दृष्टि से हिंदू हिंदू नहीं रहेंगे और मुस्लिम मुस्लिम नहीं रहेंगे. वो बस एक राष्ट्र के नागरिक होंगे."
हालांकि जिन्ना ये देखने के लिए जीवित नहीं रहे कि पाकिस्तान का भविष्य कैसा रहा. पाकिस्तान बनने के सिर्फ़ 13 महीने बाद ही टीबी रोग से जिन्ना का निधन हो गया.
उनके निधन के बाद उन पर फ़िल्में बनी जिन पर कई तरह के विवाद होते रहे हैं.
उनकी जीवनी लिखने वाले स्टान्ले वोल्पर्ट का कहना है " कुछ ही लोग इतिहास की दिशा मोड़ पाए हैं. कुछ लोग दुनिया का मानचित्र बदलने में सफल रहे हैं लेकिन ऐसा शायद ही कोई हो जिसे एक पूरा राष्ट्र बनाने का श्रेय मिला हो. मोहम्मद अली जिन्ना अकेले ऐसे आदमी था जिसके नाम ये तीनों काम हैं. "
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